भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अध्यक्ष जेपी नड्डा ने तमिलनाडु में जहरीली शराब कांड को लेकर कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे को पत्र लिखा। नड्डा ने इस मामले पर उनकी पार्टी की चुप्पी पर सवाल उठाया। जहरीली शराब से राज्य में कई लोगों की मौत हुई है। नड्डा ने खरगे को लिखे पत्र में कहा कि तमिलनाडु में जहरीली शराब त्रासदी पूरी तरह से मानव जनित है। अगर द्रमुक-विपक्षी गठबंधन सरकार और अवैध शराब माफियाओं के बीच सांठगांठ नहीं होती तो शायद 56 लोगों की जान बचाई जा सकती थी। उन्होंने कहा, "तमिलनाडु में जहरीली शराब त्रासदी के बाद कल्लाकुरिची के करुणापुरम गांव में चिताएं जलाने की भयावह तस्वीरों ने पूरे देश की अंतरात्मा को झकझोर दिया है।" उन्होंने आगे कहा, "करुणापुरम में अनुसूचित जाति की आबादी काफी ज्यादा है, जो गरीबी और भेदभाव के कारण कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। मैं हैरान हूं कि जब इतनी बड़ी आपदा आई है, तो आपके नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी ने चुप्पी क्यों साध रखी है।" भाजपा प्रमुख ने कहा, "कुछ मुद्दों पर हमें पार्टी लाइन से ऊपर उठने की जरूरत है और अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति समुदाय का कल्याण और सुरक्षा ऐसा ही मुद्दा है।" नड्डा ने खरगे से कहा कि वह तमिलनाडु की द्रमुक-इंडि गठबंधन सरकार पर सीबीआई जांच कराने और राज्य के निषेध एवं उत्पाद शुल्क मंत्री एस मुथुसामी को उनके पद से तत्काल हटाने का अनुरोध करें। उन्होंने यह भी मांग की कि पीड़ितों के परिजनों को दी जाने वाली मुआवजे की राशि को उचित स्तर तक बढ़ाया जाए, ताकि इन परिवारों का पर्याप्त समर्थन सनिश्चित हो सके। पत्र में उन्होंने आगे कहा, आज समय है कि न्याय पर की गई बातों पर सही मायने में अमल किया जाए। न कि इसे केवल एक चुनावी नारे तक सीमित रखा जाए। नड्डा ने आगे कहा, आज तमिलनाडु के लोग और पूरा अनुसूचित जाति समुदाय कांग्रेस पार्टी और खासतौर पर राहुल गांधी और इंडि गठबंधन के नेताओं की दोहरे मानकों देख रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि अचानक संविधान और अनुसूचित जाति /अन्य पिछड़ा वर्ग समुदाय के कल्याण व अधिकारों को सुनिश्चित करने के बारे में राहुल गांधी के सभी उपदेश बंद हो गए हैं। नड्डा ने कहा, कार्रवाई करने का समय आ गया है। खोखले शब्द, फर्जी बयानबाजी और खोखले वादे द्रमुक-इंडि गठबंधन सरकार द्वारा अनुसूचित जाति के पीड़ितों और उनके परिवारों पर किए गए अन्याय को खत्म नहीं करेंगे। भाजपा प्रमुख ने खरगे से आग्रह किया कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी चुप्पी साधने के बजाय पीड़ित परिवारों से मिलने जाएं या कम से कम इस मुद्दे पर आवाज उठाने का साहस जुटाएं।