भोपाल । भाजपा मप्र में एक तीर से दो शिकार करने की रणनीति पर काम कर रही है। इस रणनीति के तहत भाजपा ने ‘मोदी के मन में बसे एमपी और एमपी के मन में मोदी’ अभियान शुरू किया है। इस अभियान के साथ भाजपा मिशन 2023 और मिशन 2024 दोनों को साध रही है। पार्टी के रणनीतिकारों को उम्मीद है की इस अभियान से प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों के साथ ही 29 लोकसभा सीटों पर भी जीत का माहौल बनेगा।
इसी बीच पार्टी ने चुनाव में मोदी के नाम को भुनाने की पूरी तैयारी कर ली है। ‘मोदी के मन में बसे एमपी, एमपी के मन में मोदी’ थीम पर कई ऑडियो और वीडियो गीत बनकर तैयार किए गए है। इन गानों में उनका पूरा मप्र कनेक्शन बताया गया है। यही नहीं केंद्र सरकार और राज्य सरकार की योजनाओं को शामिल कर उनके चेहरे को ही तवज्जो दी गई है। चुनाव से पहले इन गानों के जरिए यह बताया जाएगा कि, पीएम नरेंद्र मोदी का मप्र से क्या नाता रहा है। पीएम का एमपी के शहरों और गांवों से कितना पुराना रिश्ता है। इसलिए उन्हें प्रदेश की ज्यादा चिंता है।
गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए समर्थन जुटाने के लिए विकास दूत के रूप में रजिस्ट्रेशन करने के लिए मोदी के मन में बसे एमपी और एमपी के मन में मोदी अभियान शुरू किया गया था। यह अभियान भाजपा की राष्ट्रीय इकाई द्वारा शुरू किया गया था, लेकिन इसे पीएम मोदी और एमपी के साथ उनके कनेक्शन पर केंद्रित किया जा रहा है। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, रजिस्ट्रेशन के लिए बनाई गई वेबसाइट पर एक सप्ताह से भी कम समय में 6.95 लाख लोगों ने विकास दूत के रूप में पंजीकरण कराया है। कोई भी व्यक्ति मोबाइल नंबर, नाम, निर्वाचन क्षेत्र और उम्र लिखकर इसके लिए रजिस्ट्रेशन करा सकता है। वेबसाइट पर पीएम मोदी का एमपी से कनेक्शन समझाने के लिए वीडियो, रिंगटोन और गाने हैं। इसमें महाकाल लोक कॉरिडोर के उद्घाटन, मेगा टेक्सटाइल पार्क, सडक़ों, नल जल योजना, आवास योजना और आदिवासी विकास के बारे में न्यूज क्लिप हैं। वेबसाइट पर शॉर्ट वीडियो हैं कि कैसे पीएम मोदी ने महिला सशक्तिकरण, आर्थिक विकास, बुनियादी ढांचे, विकास और संस्कृति के लिए काम किया है। राज्य के सोशल मीडिया संयोजक अभिषेक शर्मा ने कहा, यह कैम्पेन केंद्र द्वारा शुरू किया गया था और इसे अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है।
यह अभियान लोकसभा चुनाव पर है, लेकिन भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि इससे पार्टी को विधानसभा चुनाव में सत्ता विरोधी लहर से निपटने में भी मदद मिलेगी। वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा, लाडली बहना, संबल, मुफ्त राशन, पीएम किसान सम्मान निधि योजना और गरीब कल्याण योजनाओं सहित भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई सभी बड़ी योजनाओं को पीएम मोदी के चेहरे के साथ प्रचारित किया जा रहा है। यह गाने और रिंगटोन के माध्यम से विधानसभा चुनाव के लिए सत्ता विरोधी लहर को हरा देगा। उन्होंने कहा, पहले इस अभियान को विधानसभा चुनाव के लिए शुरू करने का निर्णय लिया गया था, लेकिन यह राज्य नेतृत्व के लिए वांछित प्रभाव नहीं छोड़ रहा था। बाद में इसे लोकसभा चुनाव के लिए लॉन्च करने का निर्णय लिया गया। भाजपा की नजर 2024 में सभी 29 लोकसभा सीटें जीतने पर है। 2019 में भाजपा ने 28 सीटें जीती थी और कांग्रेस के पास छिंदवाड़ा से नकुल नाथ के रूप में केवल एक सांसद हैं। इंदौर में एक रैली के दौरान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भाजपा कार्यकर्ताओं से विधानसभा चुनाव 2023 में प्रचंड जीत दर्ज करने के साथ लोकसभा की सभी 29 सीटों पर जीत सुनिश्चित करने का आग्रह किया ।
महाकाल लोक का लोकार्पण भोले बाबा के मन भाया, मोदी जैसा भक्त है आया इसमें मोदी को महाकाल का भक्त बताते हुए महाकाल लोक के लोकार्पण के वीडियो दिखाए गए हैं। युवा को नॉलेज, नए मेडिकल कॉलेज गाने की थीम है...इसमें बताया गया है कि प्रदेश में कैसे कॉलेज और शिक्षा का क्षेत्र में विकास हुआ है। जनजाति मुख्य धारा में, घर-घर राशन.. यह गाना विशेष तौर पर जनजाति क्षेत्रों के लिए तैयार किया गया है। इसमें मजदूरों और किसानों का फोकस रखा गया है। प्रदेश के भाजपा पदाधिकारी का कहना है कि इन चुनावों का सीधा असर लोकसभा चुनावों पर भी नजर आएगा। इसलिए पीएम मोदी और अमित शाह को एमपी के मैदान में उतरना पड़ रहा है। हिंदी पट्टी के मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में होने वाले चुनावों में भाजपा के लिए सबसे अहम मध्य प्रदेश ही है। प्रदेश में (कमलनाथ सरकार के 15 महीने छोडक़र) बीते 17 साल से भाजपा काबिज है। यदि यहां भाजपा को झटका लगता है तो इसका सीधा असर लोकसभा चुनाव तक बना रहेगा। यही वजह है कि भाजपा का सबसे ज्यादा फोकस मध्यप्रदेश पर है। चुनाव में चेहरा पीएम मोदी ही होंगे लेकिन इसकी कोई आधिकारिक घोषणा समय आने पर होगी।
मध्य प्रदेश में 17 वर्षों से भारतीय जनता पार्टी की सरकार है। ऐसे में भाजपा और सरकार के लिए इन दिनों जबरदस्त सत्ता विरोधी लहर देखने को मिल रही है। बीते दिनों आई कुछ सर्वे रिपोर्ट में भी पार्टी को खराब रेस्पांस मिल रहा है। इसी को देखते हुए अब पार्टी पुराने चेहरों को आगे रखने के बजाए पीएम मोदी के चेहरे को सामने ला रही है। ताकि सत्ता विरोध लहर और लोगों की नाराजगी का असर थोड़ा कम हो।
मोदी के नाम पर पार्टी एकजुट रहेगी। कई गुटों में बंटे नेता मोदी के नाम पर एकजुट होकर चुनावी मैदान में उतरेंगे। टिकट वितरण के ज्यादातर फैसले भी केंद्रीय नेतृत्व खुद लेगा। 100 से ज्यादा टिकट कटेंगे। नए और युवा उम्मीदवार को मौका मिलेगा। अगर पीएम मोदी और केंद्रीय नेतृत्व काम संभालेंगे तो भीतरघात को कंट्रोल करना आसान होगा। सत्ता विरोधी लहर को मोदी की अगुवाई में कंट्रोल करना आसान होगा। भाजपा के सर्वे में कई मंत्रियों और विधायकों की रिपोर्ट ठीक नहीं है। ऐसे में इनके टिकट काटने पड़ सकते हैं। मोदी की नेतृत्व में विद्रोह कर पाना मुश्किल होगा। सिंधिया गुट के बड़े स्तर पर टिकट कट सकते हैं। ऐसे में अगर बगावत हुई तो सिंधिया को भी अपने लोगों को चुप कराना पड़ेगा।