कानपुर। गर्मी बढ़ने के साथ ही गंगा का जलस्तर तेजी से गिरने लगा है। पांच दिन में गंगा का जलस्तर 17 इंच गिर गया है। 21 अप्रैल को गंगा का जलस्तर 358 फीट था जो शुक्रवार को 356.7 फीट पर पहुंच गया है। शहर में रोज होने वाली 20 करोड़ लीटर जलापूर्ति के लिए जलकल विभाग ने एक ड्रेजिंग मशीन चालू करने के साथ ही दो और लगा दी हैं ताकि भैरोघाट पंपिंग स्टेशन की तरफ गंगा का कच्चा पानी लाने में दिक्कत न हो।

गंगा का जलस्तर गिरने से जल में मटमैलापन बढ़ गया है और नाइट्राइट भी 0.012 मिलीग्राम प्रति लीटर मिला है। नाइट्राइट मिलने से साफ है कि कहीं पर गंगा में दूषित पानी मिल रहा है। पानी शोधित करने में भी रसायन खर्च बढ़ गया है। अगर डेढ़ फीट और गंगा का जलस्तर गिर गया तो जलापूर्ति का संकट खड़ा हो जाएगा। इसको लेकर जलकल ने बालू की बोरियों का अस्थायी बंधा बनाने की तैयारी शुरू कर दी है।

गंगा का जलस्तर गिरने से संकट

जलकल भैरोघाट पंपिंग स्टेशन से रोज 20 करोड़ लीटर कच्चा पानी लेकर शोधित करने के लिए जलकल मुख्यालय बेनाझाबर भेजता है। यहां पानी को शोधित करके 28 जोनल पंपिंग स्टेशन से 100 मुहल्लों में जलापूर्ति की जाती है। गर्मी में गंगा का जलस्तर गिरने से संकट खड़ा हो जाता है। ऐसे में शुक्लागंज की तरफ बालू की बोरियों लगा अस्थायी बंधा बनाकर पानी को पंपिंग स्टेशन की तरफ मोड़ा जाता है।

एक हफ्ते से गंगा का जलस्तर गिरने से 30 से 35 हैजेन तक मटमैलापन पहुंच गया है। हालांकि घुलित आक्सीजन साढ़े छह मिलीग्राम प्रति लीटर है। वहीं, पानी शोधित करने में अभी पांच से छह टन फिटकरी लग रही थी, जो अब सात से आठ टन लग रही है। जलकल महाप्रबंधक आनंद त्रिपाठी ने बताया कि जलापूर्ति को लेकर भैरोघाट पंपिंग स्टेशन के पास अस्थायी बंधा बनाने के लिए अफसरों को आदेश दिए हैं। साथ ही गंगा पर 24 घंटे नजर रखी जाएगी। जलापूर्ति प्रभावित नहीं होने दी जाएगी।