कानपुर देश का एक का इकलौता शहर है, जहां साल में दो बार होली मनाई जाती है. सबसे बड़ी बात यह है कि दूसरी बार की वाली होली पहले से भी ज्यादा रंगीन होती है. इस दिन पूरा कानपुर बंद रहता है. लोग सुबह से ही जमकर होली खेलना शुरू कर देते है और इस दिन शाम को होली मेले का आयोजन होता है. एक ऐसा मेला जहां दोस्त हो या दुश्मन, कांग्रेस हो या भाजपा सब आपस में गले मिलते है. इस बार भी गंगा मेले वाले दिन पूरा कानपुर बंद रहेगा. आइए बताते है कि ऐसा क्यों होता है.

बात है तकरीबन 1942 की, उस समय अंग्रेजों का शासन था. इस साल कानपुर में अंग्रेजों ने एक आदेश जारी किया और होली खेलने पर प्रतिबंध लगा दिया. कुछ व्यापारियों और क्रांतिकारियों ने इसका विरोध किया तो अंग्रेजों ने उनको सरसैया घाट स्थित जेल में डाल दिया. इससे कानपुर के लोग नाराज हो गए और उन्होंने अपना पूरा व्यापार बंद कर दिया. अंग्रेजों के इस जुल्म के विरोध में कानपुर वासियों ने तय किया कि वो तब तक रोज होली खेलेंगे जब तक गिरफ्तार लोगों को छोड़ा नहीं जाता.

कब खेली जाती दूसरी बार होली?

इस तरह होली वाले दिन के बाद से लगातार लोगों ने होली खेलनी शुरू कर दी. आखिर में अंग्रेज परेशान हो गए और उन्होंने सभी व्यापारियों और क्रांतिकारियों को रिहा कर दिया. जिस दिन सबको रिहा किया गया उस दिन अनुराधा नक्षत्र थी और होली को बीते सात दिन हो गए थे. सबके रिहा होने की खुशी में लोगों ने सरसैया घाट पर मेला लगाया और जमकर पूरे शहर ने होली खेली. उसी के बाद से ही हर साल यह परंपरा चली आ रही है.

20 मार्च को खेली जाएगी होली

इस साल 20 मार्च को अनुराधा नक्षत्र है. इसी दिन पूरा शहर बंद रहेगा, स्कूल कॉलेज भी बंद रहेंगे. डीएम के आदेश पर इस दिन लोकल हॉलिडे रहेगा. सभी व्यापारिक प्रतिष्ठान भी बंद रहेंगे. सुबह से ही लोग जमकर होली खेलेंगे. उसके बाद शाम को सरसैया घाट पर गंगा मेला का आयोजन किया जाएगा, जिसमें भारी संख्या में लोग शिरकत करते है और आपसी भेदभाव भूलकर एक दूसरे के गले मिलते है.