रायपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर राज्य सरकार के आरक्षण संशोधन विधेयक को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करने का अनुरोध किया है। बघेल ने लिखा है कि छत्तीसगढ़ विधानसभा में जो संशोधन विधेयक 2022 पारित किया गया है, उसमें अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग को जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण देने का प्रविधान किया गया है।

प्रधानमंत्री को पत्र लिखने के बाद मुख्यमंत्री ने ट्वीट किया- जितनी आबादी, उतना हक। उन्होंने कहा कि नौवीं सूची में शामिल करने से वंचितों एवं पिछड़ों को न्याय प्राप्त हो सकेगा। मुख्यमंत्री ने पत्र में लिखा है कि छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जनजाति वर्ग के 32 प्रतिशत, अनुसूचित जाति वर्ग के 13 प्रतिशत तथा अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के 42 प्रतिशत लोग रहते हैं। राज्य का 44 प्रतिशत भाग वनाच्छादित है व बड़ा भूभाग दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों से घिरा हुआ है। इन सब कारणों से ही राज्य के मैदानी क्षेत्रों को छोड़कर अन्य भागों में आर्थिक गतिविधियां संचालित करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

रिजर्व बैंक आफ इंडिया की 2012 की रिपोर्ट के अनुसार छत्तीसगढ़ में गरीबों की संख्या लगभग 40 प्रतिशत थी, जो देश में सर्वाधिक है। राज्य के अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों की सामाजिक, आर्थिक तथा शैक्षणिक दशा अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगों की तरह ही कमजोर हैं। इनमें तीन चौथाई लघु कृषक व खेतिहर मजदूर हैं।

मुख्यमंत्री ने पत्र में लिखा है कि राज्य में वर्ष 2013 से कुल 58 प्रतिशत आरक्षण का प्रविधान किया गया था। इसे छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने 2022 में निरस्त कर दिया। इसके बाद विस में एसटी के लिए 32 प्रतिशत, एससी के लिए 13 प्रतिशत, ओबीसी से लिए 27 प्रतिशत और ईडब्ल्यूएस के लिए चार प्रतिशत आरक्षण का विधेयक सर्वसम्मति से पास किया गया है। सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने ईडब्ल्यूएस वर्ग के लोगों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने के निर्णय को वैध ठहराया है, जिससे आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से अधिक बढ़ाने का मार्ग प्रशस्त हो चुका है। झारखंड एवं कर्नाटक विधानसभा में विभिन्न वर्गों के लिए आरक्षण का प्रतिशत 50 से अधिक करने के प्रस्ताव पारित किए गए हैं।