भोपाल के वन विहार में दिखेंगे एशियाई शेर
भोपाल । भोपाल के वन विहार नेशनल पार्क में लोग जल्द ही एशियाई शेरों के दीदार कर सकेंगे। इनकी 21 दिन की क्वारेंटाइन अवधि पूरी हो गई है। ऐसे में 20 जनवरी से पहले इन्हें बाड़े में छोड़ा जा सकता है। गुजरात के जूनागढ़ से एशियाई शेरों का जोड़ा 21 दिसंबर को भोपाल लाया गया था। उन्होंने 5 दिन में 1000 किमी का सफर तय किया था। इसके बाद इन्हें 21 दिन तक क्वारेंटाइन रखा गया था। 11 जनवरी को यह अवधि पूरी हो गई। अब इन्हें दीदार के लिए बाड़े में छोड़े जाने का प्लान है।
वन विहार के डिप्टी डायरेक्टर एसके सिन्हा ने बताया, दोनों शेरों को बाड़े में अलग-अलग रखा गया है। डॉक्टरों की टीम उनकी निगरानी कर रही है। डॉक्टरों के ओके के बाद शेरों के दीदार लोग कर सकेंगे।
3 साल है दोनों शेर की उम्र
बता दें कि नर और मादा शेर की उम्र करीब 3 साल है। पहले दिन पिंजरा खुलते ही शेरों ने अपने बाड़े में छलांग लगा दी थी। हालांकि, पहले वे थोड़े डरे-सहमे नजर आए थे लेकिन फिर इधर-उधर मंडराने लगे। खाने के लिए उन्हें मीट भी दिया गया। इसके बाद वे माहौल में ढल गए हैं।
गुजरात गई थी वन विहार की टीम
वन विहार का 9 सदस्यीय दल 17 दिसंबर को जूनागढ़ के सक्करबाग चिडिय़ाघर में शेर को लेने पहुंचे थे, जो 21 दिसंबर की शाम को भोपाल पहुंच गए थे। इस टीम में वन विहार के इकाई प्रभारी पर्यटन एव सहायक वन्यप्राणी चिकित्सक भी शामिल थे।
पांच हो गई लॉयन की संख्या
वन विहार में पहले 3 शेर थे। जिनमें सत्या, गंगा और नदी शामिल हैं। नंदी और सत्या नंदन कानन चिडिय़ाघर से लाए गए थे। अब 2 लॉयन और आ गए। इसके बाद यहां 2 नर और 3 मादा शेर हो गई है।
16 साल बाद गुजरात ने मानी है बात
गुजरात ने वन विहार नेशनल पार्क की बात 16 साल बाद मानी और चार साल के शेरों का जोड़ा दिया है। इसके बदले में बांधवगढ़ नेशनल पार्क से लाए गए बाघ बी-2 और बाघिन बंदनी सक्करबाग चिडिय़ाघर भेजे हैं। इनकी उम्र क्रमश:: 7 और 6 साल है। 2006 से गिर के शेर लाने के प्रयास चल रहे थे। केंद्रीय चिडिय़ाघर प्राधिकरण के निर्देश के बाद भी गुजरात वन विभाग व चिडिय़ाघर प्रबंधन युवा बाघों के बदले बूढ़े शेर देने की पेशकश कर रहा था। वन विहार प्रबंधन ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया था।
नंदी को मिलेगा साथी, बढ़ सकता है कुनबा
मप्र सरकार लगातार गिर से सिंह लाने का प्रयास कर रही थी। जूनागढ़ से आ रहे शेर के जोड़े से ब्रीडिंग प्रोग्राम को गति मिलेगी। वहीं मादा सिंह गंगा को नया साथी मिलेगा। वहीं इन-ब्रीडिंग से बचाने के लिए जूनागढ़ की मादा सिंह को नया साथी सत्या मिलेगा।