छत्तीसगढ़ गठन के बाद छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने सिंचाई सुविधाओं को बढ़ाने के लिए कई परियोजनाओं का निर्माण कराया। उन्हीं परियोजनाओं में से एक था पेंड्रा मरवाही क्षेत्र से निकलने वाली सोन नदी पर डायवर्सन बांधों का निर्माण। इसी क्रम में सोन नदी पर अपर सोन डायवर्शन एवं लोअर सोन डायवर्सन जैसी कई योजनाएं बनाई गई। ताकि इस क्षेत्र के किसानों को इन नदियों के पानी का फायदा मिल सके, योजना के क्रियान्वयन के बाद बने इन बांधों से क्षेत्र मैं बड़े पैमाने पर सिंचाई हुई एवं एक बड़ा क्षेत्र सिंचित हो सका, लगभग 22 वर्ष पुराने कंक्रीट से बने इस बांध पर मरम्मत का कोई बड़ा काम नहीं किया गया। नतीजतन इस बड़े बांध के मुख्य एबटमेंट वाल खराब हो गई है, प्लास्टर उखड़ गया है ,जगह जगह पर क्रैक नजर आ रहे हैं जिसमें पौधे उगाए हैं, अबेटमेंट वाल के क्रैक से से पानी का रिसाव हो रहा है। इतना ही नहीं बांध के लोअर स्ट्रीम के विंग वाल से पानी का फव्वारा फूट पड़ा है। लगातार रिसता पानी यह बताने के लिए काफी है कि दीवार जर्जर हो चुकी है। जो कभी भी टूट सकती है पर विभाग ने अब तक इस ओर ध्यान नहीं दिया है। ग्रामीण भी कहते हैं कि बांध बनने के बाद मरम्मत नहीं की गई जिससे बांध जर्जर हो रहा है। जिसकी मरम्मत करना आवश्यक है अन्यथा बांध को बड़ा नुकसान हो सकता है। सोन नदी पर बने इस बड़े बांध में काफी पानी आता है जिससे हर बार इसमें यह बांध ओवरफ्लो होता है, पानी के इसी प्रेशर से एबटमेंट वाल एवं विंग वाल से रिसाव हो रहा है। हालांकि जल संसाधन विभाग मरवाही के कार्यपालन अभियंता कहते हैं कि उन्हें इसकी जानकारी है इसकी मरम्मत के लिए प्रस्ताव भेजा गया है जैसे ही स्वीकृति होगी मरम्मत की जाएगी। छत्तीसगढ़ बनने के बाद पेंड्रा मरवाही क्षेत्र में सिंचित भूमि के रकबे में दोगुना से ज्यादा विकास हुआ है, पर इन स्टॉप डेमो की मरम्मत न करने से जहां स्टॉप डेम खराब हो रहे हैं वही पानी के प्रेशर से कभी भी कोई बड़ा हादसा भी हो सकता है।