भोपाल । कभी कांग्रेस का किला रहा मध्य प्रदेश का पूर्वी इलाका विंध्य अब बीजेपी की ताकत बन गया है। अर्जुन सिंह जैसे मुख्यमंत्री और कद्दावर नेता के गृह क्षेत्र में अब उनकी विरासत पुत्र अजय सिंह राहुल भैया संभालते हैं। ‘सफेद शेर’ के नाम से विख्यात दिवंगत विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी भी इसी अंचल का प्रतिनिधित्व करते रहे हैं। निश्चित रूप से ऐसे नेतृत्व की कमी कांग्रेस को विंध्य में खलती है। जैसे-जैसे समय बीतते गया मध्य प्रदेश के राजनीतिक नक्शे में विंध्य में बीजेपी का वर्चस्व बढ़ता गया।
विंध्य अंचल की 24 सीटों में से कांग्रेस 2008 में सिर्फ दो और 2003 में चार सीट ही जीत सकी थी। इस क्षेत्र में कांग्रेस का सबसे अच्छा प्रदर्शन 2013 में ही रहा जब 12 सीटों पर उनके विधायक जीतकर आए। नागौद से यादवेंद्र सिंह, चित्रकूट से प्रेम सिंह, सिंहावल से कमलेश्वर पटेल, चुरहट से अजय सिंह, मैहर से नारायण त्रिपाठी, अमरपाटन से राजेंद्र सिंह, मऊगंज से सुखेंद्र सिंह, गुढ़ से सुंदर लाल तिवारी, चितरंगी से सरस्वती संह, ब्योहारी से रामपाल सिंह, कोतमा से मनोज अग्रवाल और पुष्पराजगढ़ से फुंदेलाल सिंह मार्को विधायक चुने गए थे। इसी चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार पांच सीटों पर दूसरे नंबर पर रह थे। रागांव से उषा चौधरी और मनगवां से शीला त्यागी बसपा विधायक बनी थीं। वहीं रामपुर बघेलान, सेमरिया, देवतलाब, रीवा और अमरपाटन में बसपा प्रत्याशी दूसरे स्थान पर रहे।
वैसे तो विंध्य वह क्षेत्र है जहां हमेशा से ब्राह्मण और ठाकुर नेताओं का दबदबा रहा है, लेकिन एक और बड़े समुदाय कुर्मी का प्रतिनिधित्व भी असरदार रहा। पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता इंद्रजीत पटेल कुर्मियों का नेतृत्व करते रहे। अब बीजेपी के रामखेलावन पटेल न केवल विंध्य, बल्कि पूरे मध्य प्रदेश में कुर्मियों का नेतृत्व कर रहे हैं। प्रदेश के पिछड़ा वर्ग और पंचायत ग्रामीण विकास राज्य मंत्री पटेल मध्यप्रदेश कुर्मी समाज के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं। विंध्य में सिंहावल से विधायक और पूर्व मंत्री इंद्रजीत पटेल के पुत्र कमलेश्वर पटेल भी कुर्मी हैं।
ब्राह्मण और ठाकुरों का गढ़ माने जाने वाले विंध्य में अन्य जातियों के प्रतिनिधियों का भी राजनीति में खासा दखल है। बहुजन समाज पार्टी ने 2008 के चुनाव में अपना श्रेष्ठ प्रदर्शन किया जब पार्टी के तीन विधायक जीतकर आए। रामपुर बघेलान से राम लखन सिंह, सिरमौर से राजकुमार उर्मलिया और त्योंथर से राम गरीब कोल विजयी हुए। इससे पहले 2003 के विधानसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी में अन्य जातियों के वोट बंट गए थे। तब गोपड़बनास से कृष्ण कुमार सिंह, सिंगरौली से बंशमणि वर्मा, मेहर से नारायण त्रिपाठी विजयी हुए थे। रामपुर बघेलान से राष्ट्रीय सामंत दल के हर्ष सिंह, मऊगंज से डॉ. आईएमपी वर्मा बसपा के टिकट पर चुनाव जीते थे। इस तरह कांग्रेस के लिए विंध्य में न केवल ब्राह्मण-ठाकुर वर्ग, बल्कि अन्य जातियों के वोटरों को साधना भी चुनौती होगी।
2018 के विधानसभा की बात करें तो इस विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 6 सीटें मिली थीं, क्षेत्र से चुनाव जीतकर कांग्रेस के 6 विधायक विधानसभा पहुंचे। 2018 के चुनाव में बसपा 2 सीटों पर नंबर 2 की पोजीशन पर थी। वहीं 1-1 सीटों पर समाजवादी पार्टी और गोडवाना गणतंत्र पार्टी के प्रत्याशी दूसरे नंबर पर आए थे। यानी बीजेपी और कांग्रेस के अलावा दूसरे दलों को भी लोग यहां वोट देते हैं।
2013 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो इस विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को प्रचंड बहुमत मिला था। इस चुनाव में कांग्रेस पार्टी को विन्ध्य में 30 में से 12 सीटों पर जीत मिली थी। साथ ही साथ बीएसपी के दो विधायक चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। खास बात यह रही कि बीएसपी के 5 कैंडिडेट नंबर 2 पर भी रहे थे। यहां भाजपा को 16 सीटों पर जीत मिली थी।
2008 के विधानसभा चुनाव में विंध्य में भाजपा को बंपर जीत मिली थी। भारतीय जनता पार्टी को 24 सीटों पर विजय मिली थी। बता दें कि 2008 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की विंध्य में बहुत ही करारी हार हुई थी। पार्टी को मात्र 2 सीटें मिली थीं। यहां तक कि कांग्रेस से ज्यादा तो चुनाव में बसपा को सीटें मिल गई थीं। बसपा के 3 प्रत्याशियों को जीत मिली थी।
2003 के विधानसभा चुनाव में 10 साल बाद भाजपा ने साा प्राप्त की थी। इसमें विंध्य का बड़ा योगदान था। बता दें कि विंध्य में भी भाजपा ने अच्छा प्रदर्शन किया था और यहां पर पार्टी ने 28 में से 18 सीटों पर कब्जा किया था, वहीं कांग्रेस की बात करें तो पार्टी को सिर्फ 4 सीटों से ही संतुष्ट होना पड़ा था, साथ ही समाजवादी पार्टी ने भी इस चुनाव में अपने प्रदर्शन से सबको चौंका दिया था। सपा के 3 प्रत्याशी चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे।
वर्ष 2018 के चुनाव में भाजपा ने 24 सीटों पर कब्जा जमाया, जिसमें से रैगांव, नागौद, मैहर, अमरपाटन, रामपुर बाघेलान, सिरमौर, सेमरिया, त्योंथर, मऊगंज, देवतालाब, मनगवां, रीवा, गुढ़, चुरहट, सीधी, चितरंगी, सिंगरौली, देवसर, धौहनी, ब्यौहारी, जयसिंहनगर, जैतपुर, बांधवगढ़ और मानपुर विधानसभा सीट पर भाजपा की जीत हुई, जबकि कांग्रेस को चित्रकूट, सतना, सिहावल, कोतमा, अनूपपुर और पुष्पराजगढ़ में जीत मिली। बाद में अनूपपुर से बिसाहूलाल भाजपा में शामिल होकर उपचुनाव जीते, वहीं रैगांव सीट में जुगुलकिशोर बागरी के निधन के बाद उपचुनाव में कांग्रेस को जीत मिल गई।
विंध्य क्षेत्र में कांग्रेस की लुटिया कितनी तेजी से डूबी, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कांग्रेस चार सीटों पर तीसरे स्थान पर खिसक गई। ब्यौहारी में कांग्रेस नेता रामपालसिंह, गुढ़ से सुंदरलाल तिवारी, देवतालाब से विद्यावती पटेल और रामपुर बाघेलान से रामशंकर पायासी मैदान में उतरे, लेकिन उन्हें तीसरे स्थान से संतोष करना पड़ा।