जबलपुर ।   ट्रेन को सुरक्षित पटरियों पर चलाने के लिए रेलवे अब निजी गार्ड की मदद लेगा। इनकी मदद से पटरियों में होने वाले क्रेक, नुकसान का पता समय रहते लगाएगा। इसके लिए जबलपुर रेल मंडल ने कवायद शुरू कर दी है। मंडल के लगभग 800 किमी लंबे ट्रैक की सुरक्षा के लिए करीब 500 निजी गार्ड तैनात होने जा रहे हैं। यह मुख्यतौर पर रात को पटरियों की सुरक्षा करने गश्त लगाएंगे। दरअसल, रेलवे, पटरियों की सुरक्षा के लिए ट्रैकमेन, पेट्रोलमेन तैनात करता है। इन्हें इस बार भी किया गया, लेकिन ठंड के दिनों में पटरियों में क्रेक आने, ट्रैक को नुकसान पहुंचने और कोहरे होने से दुर्घटनाओं की आशंका बढ़ जाती है। यही वजह है कि इस बार वह इस काम में अपने कर्मचारियों के साथ निजी कर्मचारियों की भी मदद ले रहा है।

रेलवे और निजी गार्ड, दोनों साथ करेंगे गश्त

पटरियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी जबलपुर रेल मंडल के इंजीनियरिंग विभाग की है। सालभर, इंजीनियरिंग विभाग के पेट्रोलमेन और ट्रैकमेन पटरियों की सुरक्षा में तैनात रहते हैं, लेकिन ठंड के दिनों में रात के वक्त पटरियों की सुरक्षा करना मुश्किल होता है। एक ट्रैकमेन के जिम्मे आठ किमी लंबी पटरियों की निगरानी करनी होती है, पर कर्मचारी कम होने की वजह से इस समय एक कर्मचारी 12 किमी लंबी पटरियों की सुरक्षा के लिए गश्त लगा रहा है। दिक्कत यह है कि डबल ट्रैक होने की वजह से एक बार में दोनों ट्रैक देखना मुश्किल है। इसलिए रेलवे, इन कर्मचारियों के साथ निजी गार्ड, रात को पटरियों की सुरक्षा करेंगे।

गश्त की बजाय शराब पीते मिले थे निजी गार्ड

लगभग 500 सुरक्षा कर्मचारियों को पटरियों की निगरानी में तैनात किया जाना है, जिसके लिए इंजीनियरिंग विभाग ने टेंडर जारी कर दिया है। दो से तीन दिनों में प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। हालांकि तीन साल पूर्व भी रेलवे ने पटरियों की सुरक्षा के लिए निजी गार्ड तैनात किए थे, जिसमें कई निजी कर्मचारी, रात के वक्त शराब पीते और पटरियों पर आराम करते मिले। वहीं कइयों ने तो रेलवे कर्मचारियों के साथ विवाद भी किया। ऐसा इस बार न हो, इसके लिए अभी तक कोई कदम नहीं उठाया है। निजी कर्मचारियों को पटरियों की सुरक्षा से जुड़े नियमों की जानकारी भी नहीं है। उन्हें एक दिन का प्रशिक्षण देकर तैनात कर दिया जाएगा।

90 दिन में तीन करोड़ खर्च

जबलपुर रेल मंडल, निजी कर्मचारियों को कलेक्ट्रेट गाइडलाइन के मुताबिक वेतन भुगतान किया जाएगा। इस हिसाब से रेलवे, तीन माह के लिए इन्हें तैनात करेगा, जिसमें लगभग दो से तीन करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। रेलवे के इस काम में कई रेलवे के कर्मचारी और अधिकारी भी, ठेकेदार से साठगांठ कर यह ठेका लेने में जुट गए हैं। कई ठेकेदारों के साथ ये कमीशन पर काम कर रहे हैं। हालांकि मामला पटरियों की निगरानी और ट्रेन की सुरक्षा से जुड़ा होने की वजह से इस मद में बजट भी पर्याप्त रहता है, जिससे भुगतान में परेशानी नहीं होती। यही वजह है कि एक बार फिर ठेकेदार और दलाल, इसके लिए सक्रिए हो गए हैं।

ऐसे होगी निगरानी

- एक पेट्रोलमेन के साथ एक निजी गार्ड को गश्त में लगाया जाएगा।

- पेट्रोलमेन के पास जीपीएस होगा, निजी गार्ड पटरियों की जांच करेगा।

- एक बार में दोनों को दोनों ओर की पटरियों की जांच करनी होगी।

- दोनों को ही सुरक्षा उपकरण और यूनिफार्म पहनना होगी, ताकि दिक्कत न हो।

रेलवे संरक्षा के नजरिए से ठंड में पटरियों सुरक्षा करने के लिए गश्त बढ़ाता है। इस बार हम तीन माह के लिए निजी गार्ड रेलवे के पेट्रोलमेन के साथ पटरियों की सुरक्षा करने के लिए तैनात करेंगे, जो रात में गश्त करेंगे। उन्हें प्रशिक्षण भी दिया जाएगा ताकि संरक्षा में किसी भी प्रकार की लापरवाही न हो।

 -जयप्रकाश सिंह वरिष्ठ मंडल अभियंता, समन्वय