पीलीभीत। पीलीभीत टाइगर रिजर्व अब बाघों के लिए ही नहीं हाथियों के लिए भी पहचाना जाएगा। तराई के जंगलों में अब बाघों के साथ हाथियों का भी प्राकृतिक संरक्षण होगा। केंद्र सरकार के बाद प्रदेश सरकार ने भी तराई एलिफैंट रिजर्व की स्थापना को मंजूरी दे दी है। 
  पीलीभीत एलिफैंट रिजर्व प्रदेश का दूसरा और देश का 33वां एलिफैंट रिजर्व होगा जिसमें टाइगर रिजर्व का बहुत बड़ा हिस्सा होगा। बताते चलें कि पीलीभीत रेंज की सीमा नेपाल की शुक्ला फंटा सेंचुरी से मिली हुई है जिसके चलते बड़ी संख्या में हाथियों का नेपाल से आवागमन बना रहता है और हाथियों को पीलीभीत में भी प्राकृतिक आनंद मिलता है। 
  बराही रेंज के लग्गा बग्गा से लेकर दुधवा टाइगर रिजर्व तक का जंगल हाथियों का कॉरिडोर माना जाता है। कई वर्षों तक हाथी इन इलाकों में विचरण करते रहे। लेकिन समय के साथ-साथ आए बदलाव में कॉरिडोर खेती में बदल गया। इसके बाद भी नेपाल की ओर से हाथियों के आने-जाने का सिलसिला बंद नहीं हुआ। कॉरिडोर नष्ट होने से हाथी रास्ता भटकते रहे। पिछले कुछ सालों से स्थिति बिगड़ने लगी थी। इसके बाद विभागीय स्तर से रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजी गई। 22 अक्टूबर 2020 को केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्री भूपेंद्र यादव ने अपने ट्विटर अकाउंट से रिजर्व को केंद्र की मंजूरी मिलने की जानकारी दी थी। पीलीभीत टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर नवीन खंडेलवाल का कहना है कि प्रदेश सरकार ने तराई एलिफैंट की प्रस्तावना को मंजूरी दे दी है। इसमें पीलीभीत टाइगर रिजर्व का 73024.98 हेक्टेयर हिस्सा शामिल किया गया है।