नई बीमारी एक्स ने दी दस्तक, डब्ल्यूएचओ ने जारी किया अलर्ट
जेनेवा । दुनिया भर में एक बड़ी बीमारी एक्स ने दस्तक दे दी है। यह बीमारी इतनी खतरनाक है कि इससे 5 करोड़ लोगों की जान जाने का अंदेशा है। इसके लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने अलर्ट जारी कर दिया है। नई डिसीज एक्स कोविड महामारी की तुलना में 20 गुना अधिक बड़ी बीमारी है। डब्ल्यूएचओ के प्रमुख डॉ. टेड्रोस अदनोम घेब्रेयसस ने कहा है कि यह डिसीज एक्स कभी भी आ सकती है और इससे महामारी की आशंका है जिसमें लाखों लोगों की मौत होगी। बेहद घातक बीमारी से बचने के लिए वैज्ञानिक वैक्सीन बनाने पर काम कर रहे हैं। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि कोरोना महामारी से करीब 25 लाख मौतों का अनुमान है, लेकिन यह नई बीमारी उससे कहीं अधिक घातक है और इसके कारण करीब 5 करोड़ लोगों की मौत होने की आशंका है। ग्लोबल हेल्थ एक्सपर्ट्स ने नई बीमारी को लेकर कहा है कि ऐसा डर है कि डिसीज एक्स के कारण स्पैनिश फ्लू जैसी तबाही न आ जाए। 1918-1920 में स्पैनिश फ्लू के कारण दुनिया भर में 5 करोड़ से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। यूके के वैक्सीन टास्कफोर्स की अध्यक्ष केट बिंघम ने बताया कि ऐसी महामारी लाखों लोगों की जान ले लेती है।
गौरतलब है कि फर्स्ट वर्ल्ड वॉर में मरने वालों की संख्या से दोगुना लोग स्पैनिश फ्लू के कारण समय से पहले मर गए थे। पहले की तुलना में आज कहीं अधिक वायरस मौजूद हैं और इनके वैरिएंट्स भी बहुत तेजी से संक्रमित कर देते हैं। हालांकि सभी वैरिएंट घातक नहीं होते हैं, लेकिन ये महामारी ला सकते हैं। करीब 25 वायरस फैमिली की पहचान कर ली गई है और वैज्ञानिक जल्द ही वैक्सीन बना सकेंगे। डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि लोगों को नई बीमारी से बचाने की जरूरत है। ये सभी संक्रामक रोग हैं और यही महामारी का कारण बनेंगे। इसमें नई बीमारी एक्स के साथ ही इबोला वायरस, मारबर्ग, सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम, कोविड-19, जीका, मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम आदि शामिल हैं।
इनमें सबसे खतरनाक डिसीज एक्स को माना गया है। हेल्थ एक्सपर्ट ने कहा है कि कोरोना से पहले भी डिसीज एक्स थी; जिसे कोरोना नाम दिया गया। इस शब्द को इसलिए इस्तेमाल करते हैं कि जैसे ही बीमारी का पता चलेगा, उसे वह नाम दे दिया जाएगा। यह एक प्रकार का प्लेसहोल्डर है; चिकित्सा विज्ञान में अज्ञात बीमारी के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है। फिलहाल इस बीमारी के आकार- प्रकार के बारे में वैज्ञानिकों को स्पष्ट जानकारी नहीं है।