बरगद के पेड़ का महत्व: हिंदू धर्म में बरगद के पेड़ की पूजा करने की परंपरा सदियों पुरानी है. बरगद के पेड़ को हिंदू धर्म में अक्षय वट भी कहा जाता है। इस पेड़ का जितना धार्मिक महत्व है उतना ही इसका वैज्ञानिक महत्व भी है। धर्म की दृष्टि से कहा जाता है कि बरगद के पेड़ में ब्रह्मा, विष्णु और महेश विराजमान रहते हैं। इसके अलावा वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाए तो बरगद के पेड़ की जड़, तना और फल में औषधीय गुण पाए जाते हैं। हिन्दू शास्त्रों में बरगद के पेड़ के महत्व के बारे में विस्तार से बताया गया है। इस बारे में बता रहे हैं भोपाल के ज्योतिषी और वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा। आइए जानते हैं बरगद के पेड़ का धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व।

बरगद ऑक्सीजन का खजाना है
बरगद के पेड़ को ऑक्सीजन का खजाना कहा जाता है। कुछ पेड़ ऐसे होते हैं जो प्रचुर मात्रा में ऑक्सीजन छोड़ते हैं। बरगद उनमें से एक है। बरगद के साथ-साथ बांस, नीम और तुलसी के पेड़ भरपूर ऑक्सीजन देते हैं। वैज्ञानिक शोध के अनुसार बरगद, नीम, तुलसी के पेड़ एक दिन में 20 घंटे से ज्यादा ऑक्सीजन पैदा कर सकते हैं।

बरगद के पेड़ का धार्मिक महत्व
बरगद के पेड़ को हिंदू धर्म में वट वृक्ष के नाम से भी जाना जाता है। बरगद के पेड़ की जड़ें जमीन में दूर-दूर तक फैली होती हैं। ऐसा माना जाता है कि बरगद के पेड़ की छाल में विष्णु का वास होता है, बरगद के पेड़ की जड़ों में ब्रह्मा का वास होता है और इसकी शाखाओं में भगवान शिव का वास होता है।

औषधीय गुणों से भरपूर

 बरगद के पेड़ का महत्व केवल धार्मिक ही नहीं है बल्कि बरगद के पेड़ से कई तरह की औषधियां भी बनाई जाती हैं। चोट, मोच या सूजन पर दिन में दो से तीन बार मालिश करने से बरगद के पेड़ के पत्तों से निकला दूध आराम देता है। साथ ही अगर कोई घाव या खुला घाव हो तो बरगद के पेड़ के दूध में हल्दी मिलाकर चोट वाली जगह पर लगाने से घाव जल्दी भर जाता है।