उमरिया ।  उमरिया जिले के रेगुलर फारेस्ट में एक बाघ का शव मिला है। मृत बाघ 12 से 14 वर्ष का बताया जा रहा है। इस बारे में जानकारी देते हुए घुनघुटी रेंजर अर्जुन सिंह बाजवा ने बताया कि संभवतः बाघ की मौत स्वाभाविक रूप से हुई है। बाघ के शरीर में किसी तरह की चोट के कोई निशान देखने को नहीं मिले हैं। हालांकि, अभी विशेषज्ञ मौके पर नहीं पहुंचे हैं और ना ही शव का परीक्षण किया गया है। रेंजर का कहना है कि विशेषज्ञों के मौके पर पहुंचने के बाद जब शव का परीक्षण हो जाएगा। इसके बाद ही इस मामले में कुछ कहा जा सकेगा।

सुबह मिली सूचना

बताया गया है कि बाघ की मौत की जानकारी शुक्रवार की सुबह प्रकाश में आई। गांव के लोगों और वन विभाग के कर्मचारियों ने बाघ के शव को जंगल के अंदर देखा था। इसके बाद अधिकारियों को इसकी सूचना दी गई। सूचना मिलने के बाद वन विभाग का अमला सक्रिय हुआ और घटनास्थल पर पहुंच गया। बाद में इस घटना की जानकारी बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के डॉक्टरों को दी गई, और उन्हें मौके पर आने के लिए कहा गया।

यहां मिला बाघ का शव

बताया गया है कि बाघ का शव उमरिया वन मंडल के घुनघुटी रेंज अंतर्गत कंचोदर बीट में मिला है। कंचोदर और रोगढ़ के मार्ग पर स्थित जंगल में बाघ का शव पड़ा हुआ था। यह जानकारी भी सामने आई है कि यह बाघ काफी दिनों से बीमार था, और इसकी आवाज आसपास सुनाई पड़ रही थी। बीमार बाघ की आवाज सुनने के बावजूद वन विभाग के अधिकारियों ने इस दिशा में कोई ध्यान नहीं दिया। ना ही बाघ के उपचार की कोई व्यवस्था की गई। परिणाम स्वरूप बाघ मर गया।

भूख से मौत का अनुमान

गांव के लोगों ने अनुमान लगाया है कि बाघ बेहद बुजुर्ग हो गया था और चलने-फिरने में लाचार था। ठंड के कारण व बीमार भी हो गया था, जिसके कारण वह शिकार नहीं कर पा रहा था। संभवतः शिकार नहीं कर पाने की स्थिति में बाघ काफी दिनों से भूखा था और यह भी उसकी मौत का एक कारण हो सकता है। हालांकि, जो भी वजह होगी वह पोस्टमार्टम के बाद सामने आएगी, लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि मुख्य वजह वन विभाग के अधिकारियों की लापरवाही है जिसकी वजह से बाग की जान गई।