यूपी में बाहरियों की आहट ने स्थानीय नेताओं की बढ़ाई परेशानी
मेरठ। मेरठ-हापुड़ के सांसद राजेंद्र अग्रवाल मेरठ से 2009 में जीतने में सफल रहे, जब प्रदेशभर में पार्टी के सिर्फ दस सांसद जीते थे। राजेंद्र अग्रवाल 2014 और 2019 में भी संसद पहुंचे, लेकिन 2024 में पार्टी बदलाव के मूड में है। मेरठ-हापुड़ क्षेत्र से वैश्य वर्ग से कई नाम उम्मीद लगाकर बैठे हैं। अमित अग्रवाल कैंट से तीन बार विधानसभा पहुंच चुके हैं जिनके अनुभव को देखते हुए उनका दावा बड़ा है। पार्टी ने संगठन और हापुड़ के प्रतिनिधित्व पर फोकस किया तो क्षेत्रीय महामंत्री विकास अग्रवाल अहम विकल्प होंगे। इसी तरह महानगर अध्यक्ष सुरेश जैन ऋतुराज वैश्य और जैन दोनों कोटा पूरा करते हुए दावेदारी में हैं। संजीव सिक्का अपनी जमीनी, कार्यकर्ताओं से कनेक्ट व मेहनत को, जबकि विनीत शारदा प्रदेशभर में व्यापारियों के बीच अपने दौरों को टिकट का आधार मान रहे हैं। बाहरी बड़े चेहरों की बात चली तो केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, पर्दे के श्रीराम अरुण गोविल और राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार व मेरठ क्लस्टर के हेड कपिल देव अग्रवाल प्रमुख नाम होंगे। गाजियाबाद में ठाकुर और मेरठ में वैश्य होने पर सहारनपुर में पूर्व सांसद राघव लखनपाल का दावा सबसे बड़ा होगा। लेकिन समीकरण उलझे तो पार्टी यहां क्षत्रिय कार्ड खेलेगी, जिसमें देवबंद विधायक व राज्यमंत्री कुंवर बृजेश सिंह और पूर्व कैबिनेट मंत्री थानाभवन निवासी सुरेश राणा का नाम महत्वपूर्ण है। इन दोनों क्षत्रिय नेताओं की प्रदेश और राष्ट्रीय इकाई में बेहतर पकड़ है। राणा इन दिनों बरेली क्लस्टर के प्रभारी हैं।