मॉनसून का मौसम खत्म होने को आया, देश में कुल बारिश 6 फीसदी कम रिकॉर्ड हुई
नई दिल्ली । देश में मॉनसून का मौसम खत्म होने को हैं। देश के अधिकांश राज्यों में मॉनसून के खत्म होने में सिर्फ 3 दिन शेष हैं। आगामी 30 सितंबर तक मॉनसून के समाप्त होने की संभावना है। इसके बाद मॉनसून में बारिश होने के रिकॉर्ड को लेकर भी शुरू होती है। इस बार मॉनसून के दौरान अमूमन कुल बारिश 6 फीसदी कम रिकॉर्ड हुई है। हालांकि इस बार कहीं बहुत ज्यादा बारिश दर्ज की गई है, तब कहीं पर सूखे जैसे हालात भी पैदा हुए हैं। नार्थ ईस्ट में मणिपुर और मिजोरम के अलावा पूर्वी भारत के बिहार, झारखंड के साथ-साथ दक्षिण भारत के केरल में बारिश की कमी दर्ज की गई है।
मौसम विभाग की माने तब देश के 226 जिलों यानी 31 फीसदी क्षेत्र में इस बार 20 से 60 फीसदी तक बारिश कम रिकॉर्ड हुई है। जहां तक छत्तीसगढ़ के 33 जिलों की बात है, यहां केवल 6 जिलों में ही बारिश औसत से कम हुई है। उसमें भी दो जिलों में आधी के आसपास ही रिकॉर्ड की गई है। मौसम विभाग का अनुमान है कि छत्तीसगढ़ से मॉनसून वापसी 10 अक्टूबर के आसपास होती है। संभावना है कि कम बारिश वाले कुछ और जिलों में बारिश हो सकती है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक यूपी के 5 जिलों सहित देश के 11 जिले हैं, जहां 72 फीसदी तक बारिश की कमी रिकॉर्ड की गई। वहीं, देश के 372 जिलों में सामान्य बारिश हुई है। वहीं, मौसम विभाग जिलों की बारिश को मापते वक्त 20 फीसदी से कम बारिश होने को भी सामान्य कैटेगरी में ही रखता है। यूपी के 29 जिले, बिहार में 18, झारखंड के 15, केरल के 9, कर्नाटक व आंध्र के 7-7, तमिलनाडु व महाराष्ट्र के 5-5 जिलों में 25 प्रतिशत से 72 प्रतिशत के बीच बारिश की कमी दर्ज की गई है। मौसम विभाग ने छत्तीसगढ़ के 6 जिलों में भी औसतन कम बारिश रिकॉर्ड की है। इसमें से 2 जिलों सरगुजा और जशपुर की स्थिति बेहद खराब आंकी गई है। इन दोनों जिलों में मॉनसून में अनुमानित निर्धारित बारिश का आधा ही हुआ है। हालांकि मौसम विभाग की रिपोर्ट बताती है कि सितंबर माह में जितना पानी बरसना चाहिए, उतना बरस रहा है। लेकिन छत्तीसगढ़ का बेहद कम बारिश वाला जिला सरगुजा है जहां औसतन 60 फीसदी से कम बारिश को रिकॉर्ड किया है।
कृषि विशेषज्ञ मानते हैं कि इस बार देश का आधा हिस्सा सूखे की मार झेल रहा है जोकि बेहद चिंताजनक है। धान के रकबा में बढ़ोतरी हुई है। पंजाब, हरियाणा सहित कई राज्यों में जुलाई में बाढ़ आने के बाद धान की दुबारा बुवाई हुई और इस फिर से रिकॉर्ड में लिया गया, जिससे आंकड़ा बढ़ गया। अब मानसून की वापसी शुरू हो चुकी है यानी हवा में नमी भी खत्म होती जाएगी, इसका फसलों पर असर पड़ेगा। रबी की फसलों पर भी इसका असर पड़ेगा क्योंकि अलनीनो की मार शुरू हो गई है।
कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि बारिश की कमी की वजह से खरीफ की फसल पर इसका असर पड़ा है। धान, गन्ना और श्रीअन्न को छोड़कर सभी दलहन, तिलहन, जूट और कपास की बुवाई में कमी रिकॉर्ड की गई है। कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र और ओडिशा में धान की बुवाई पिछड़ गई। इन पांचों राज्यों में पिछले साल के मुकाबले 4.58 लाख हेक्टेयर में धान की बुवाई नहीं हो सकी। इस साल कर्नाटक में 3.12 लाख हेक्टेयर, महाराष्ट्र में 2.66 लाख हेक्टेयर रकबे में दालों की बुवाई नहीं हुई है। बेकार मॉनसून का सबसे ज्यादा असर राजस्थान में नुकसान के तौर पर देखा जा सकता है। यहां अगस्त में जरूरत के वक्त बारिश नहीं हुई और फसल कटाई के समय सितंबर में बारिश हुई है। ऐसा ही हाल कुछ गुजरात में रहा। मध्य प्रदेश में सोयाबीन और यूपी व बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में धान की बुवाई को नुकसान हुआ है।