बच्चों के लिए साहित्य और फिल्मे अब ख़त्म होती जा रही हैं नए दौर मे बहुत दिनों से बड़े पर्दे पर कोई बाल फ़िल्म नहीं आई। रोचक और मनोरंजन के समय मे परिवार के साथ फ़िल्म देखने मे भी लोग कतराने लगें हैं। ऐसे समय मे विशुद्ध विभिन्न स्कूल के बच्चों को प्रशिक्षित कर बचपने को फिल्माया गया है। बाइसिकल डेज़

तीन पांच फ़िल्म रीवा के समन्वय मे रीवा आई इस फ़िल्म की निर्माता निदेशक देवयानी अनंत कई स्कूल और विभिन्न संस्थानों मे लोंगो से बातचीत की। काफी हाउस मे पत्रकार वार्ता मे उन्होंने फ़िल्म के बारे मे बताया की इस फिल्म को मुख्यतः मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में फिल्माया गया है। यह फिल्म 10 वर्षीय आशीष की कहानी कहती है जो गाँव के माध्यम वर्गीय परिवार से है। आशीष भी बाकी बच्चों की तरह अपने आस पास के माहौल से प्रभावित है। आशीष भी अपने दोस्तों की तरह शहर पढ़ने जाना चाहता है पर उसके पिताजी चाहते है की वो गाँव में ही पढ़े, उसे भी बाकी बच्चों की तरह नयी पुस्तकों से पढ़ना है, पर उसे उसकी बड़ी बहन की पुरानी पुस्तकें दी जाती है। स्कूल से निकटता के कारण वह सरकारी वितरण कार्यक्रम द्वारा दी गई साइकिल से वंचित रह जाता है। आशीष अपने आस पास हो रहे बदलाव को समझ नहीं पता और निराश होने लगता है । वह हर उस बात और व्यक्ति से नाराज़ हो जाता है जससे वह पहले बहुत प्रेम करता है। 

देवयानी अनंत द्वारा निर्देशित और लिखित यह फिल्म बच्चों की मनस्तिथि को दर्शाती है।  यह फिल्म जीवन में दोस्ती और एक छात्र के जीवन में शिक्षक की भूमिका की महत्वता समझती है । यह फिल्म विपरीत परिस्तिथियों में धैर्य रखना सिखाती है। 

केयूर भगत द्वारा रचित संगीत, कहानी में एक भावपूर्ण स्पर्श जोड़ते हैं, जबकि साहेब श्रेय द्वारा लिखे गए गीत पात्रों की भावनाओं और गहराई को व्यक्त करते हैं। 

    रीवा मे यह फ़िल्म तीन पांच फ़िल्म के समन्वय मे प्रसारित हो रही हैं। पत्रकारवार्ता मे इस फ़िल्म की डाइरेक्टर देवयानी अनंत, उमेश लखन,कामता माखन, नीरज कुंदेर, रामानुज तिवारी, रितिका द्विवेदी उपस्थिति रही।

न्यूज़ सोर्स : रिपोर्टर रीवा